आसमां क्या चीज़ है
वक्त को भी झुकना पड़ेगा
अभी तक खुद बदल रहे थे
आज तकदीर को बदलना पड़ेगा
संभावनाओं की कोई कमी नहीं है और अगर आपके पास जूनून है तो कोई मंजिल दूर नहीं है।
अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत संजय सिंह आज पटना के नामचीन बिजनेस मैन में शुमार किये जाते हैं लेकिन इसके लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।बिहार की राजधानी पटना में सीसीएल 2 का आयोजन किया जा रहा है जो अबतक तक बिहार का सबसे बड़ा एवेंट माना जा रहा है। सीसीएल 02 का आयोजन नुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन (एचआरएफ) की ओर से मनीषा दयाल और चिरतंन कुमार संयुक्त रूप से कर रहे हैं।संजय सिंह सीसीएल को प्रेजेंट कर रहे हैं।
संजय सिंह ने बताया कि बिहार में सीसीएल 2 जैसे बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाने से बिहार की अलग पहचान बनेगी। सीसीएल 2 की परिकल्पना Say NO to DRUGS और Say NO to DOWRY को ध्यान में रखकर की गयी है।जो अपने आप में बहुत बड़ा कदम है। मैं इस बात के लिये सीसीएल 2 की आयोजनकर्ता श्रीमती मनीषा दयाल जी और श्री चिरंतन कुमार जी को हार्दिक बधाई देता हूँ जिन्होंने सीसीएल का आयोजन किया। उन्होंने कहा माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नशा मुक्ति के बाद अब दहेज उन्मूलन और बाल विवाह के खिलाफ महा अभियान शुरू किया है। नीतीश कुमार ने जो मुहिम शुरू की है, वह जदयू का नहीं बल्कि बिहार की जनता के लिए है। बिहार में शराबबंदी का अभियान एक हद तक काफी सफल रहा है| अगर दहेज की दिशा में भी ऐसे ही सशक्त कदम उठाये गये तो उम्मीद है कि ये भी सफल अभियान हो सकता है| सीसीएल 02 की परिकल्पना नशामुक्ति और दहेज प्रथा पर आधारित है और यही बात मेरे दिल को छू गयी और सीसीएल से जुड़ने का फैसला किया।
बिहार के रोहतास जिले के डेहरीओन सोन में जन्में संजय सिंह बचपन के दिनों में बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का सपना देखा करते थे। संजय सिंह के पिता कर्नल एस आर प्रसाद सेना में थे और अपने पुत्र का उज्जवल भविष्य देखने का सपना देखा करते उन्हें उच्च अधिकारी बनाना चाहते थे। संजय सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मणिपुर से की और इसके बाद वह पटना आ गये जहां उन्होंने प्रतिष्ठित ए एन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद संजय सिंह सीमेंट कंपनी से जुड़कर ठेकेदारी का काम करने लगे।वर्ष 1992 में संजय सिंह की शादी नमिता सिंह से हुयी जो उनकी जिंदगी में नया मोड़ लेकर आयी। संजय सिंह सीमेंट कंपनी के साथ ही जेनेरेटर कंपनी से भी जुड़ गये और काम किया। वर्ष 2012 में संजय सिंह रियल स्टेट कंपनी से भी जुड़ गये।
दुनियां में बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जो नामुमकिन नज़र आती हैं …. लेकिन अगर इंसान हिम्मत से काम करे और वो सच्चा है ……तो जीत उसी की होती है। संजय सिंह के दिल में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश थी । वह रियल स्टेट की दुनिया में पहचान बनाना चाहते थे। वह कुछ अलग और बड़ा करना चाहते थे। लहरों के साथ तो कोई भी तैर लेता है ..पर असली इंसान वो है जो लहरों को चीरकर आगे बढ़ता है। संजय सिंह ने वर्ष 2013 में रियल स्टेट कंपनी फेनोमेनल प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड की नींव रखी। इसके बाद संजय सिंह ने सोनपुर में करीब 400 एकड़ जमीन में एनजी टाउन परियोजना की शुरूआत की जो काफी बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा है। संजय सिंह पर्यावरण संरक्षण के पक्षधर हैं और इसी को देखते हुये उन्होंने परियोजना का नाम एनजी टाउन यानी न्यू ग्रीन शहर रखा है। यह परियोजना मध्यम वर्गीय परिवार को ध्यान में रखकर बनायी गयी है।
संजय सिंह ने बताया कि उनकी कामयाबी में उनके गुरु श्री पैहारी जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है जो उन्हें हर कदम प्रोत्साहित करते हैं। संजय सिंह आम जीवन में काफी व्यस्त रहते हैं लेकिन समय मिलने पर वह फिल्म देखना और घूमना पसंद करते हैं।संजय सिंह अपनी सफलता का श्रेय जीवन संगिनी नमिता सिंह को देते हैं।संजय सिंह का कहना है कि आज वे जो कुछ हैं, अपनी पत्नी की वजह से हैं। उनकी पत्नी ने उनका हर कदम पर न सिर्फ साथ दिया, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने का प्रोत्साहन भी खूब दिया। उन्होने कहा नमिता ने मुझे एक दोस्त की तरह प्रेरित किया। मुझे अपनी सफलता का श्रेय अपनी पत्नी को देने में कोई गुरेज नहीं है। न सिर्फ सुख में, बल्कि दुख-दर्द और निराशा के समय में भी मेरी पत्नी हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं। मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं कि नमिता मेरे साथ है।
संजय सिंह अपनी पत्नी को याद करते हुये भावुक होकर गुनगुनाते लगते हैं। हर धड़कन में प्यास है तेरी, साँसों में तेरी खुशबू है इस धरती से उस अम्बर तक, मेरी नज़र में तू ही तू है प्यार ये टूटे न, तू मुझसे रूठे न, साथ ये छूटे कभी न तेरे बिना भी क्या जीना ,ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना
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